Sunday, March 23, 2025

EVM कौन बनाता है और यह कैसे काम करती है, क्या इसे एक्टिवेट करने के लिए OTP की जरूरत होती है? 7 बड़े सवालों के जवाब ….

टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क के एक ट्वीट और मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट को लेकर आई खबर के बाद से ईवीएम पर फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं.रविवार को एक खबर प्रकाशित हुई थी, जिसमें कहा गया था कि शिवसेना उम्मीदवार रवीन्द्र वायकर के एक रिश्तेदार ने 4 जून को मतगणना के दौरान एक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था.

दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शुमार टेस्ला कंपनी के फाउंडर एलन मस्क ने ईवीएम पर बैन लगाने का एक ऐसा पोस्ट किया, जिसके बाद भारत में भी इस पर बहसछिड़ गई. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मुंबई से आए एक मामले का जिक्र करते हुए ईवीएम को ब्लैक बॉक्स बताया. इसके अलावा कई और भी विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं.

ऐसा नहीं है कि ईवीएम पर पहली बार सवाल उठ रहे हैं. इससे पहले भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर लगातार बहस होती रही है और चुनाव आयोग भी लगातार सफाई देते रहा है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि क्या ईवीएम मोबाइल फोन या ओटीपी से अनलॉक हो सकती है? या ईवीएम को किसी वायरलैस डिवाइस से कनेक्ट किया जा सकता है?

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) विभिन्न प्रकार के चुनावों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का निर्माण करता है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत एक नवरत्न पीएसयू है. यह सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और सिस्टम बनाती है.

ईवीएम में दो यूनिट होती हैं, कंट्रोल यूनिट (सीयू) और बैलट यूनिट (बीयू) होते हैं. कंट्रोल यूनिट में मतदान के संपूर्ण नियंत्रण, मतदान का संचालन, डाले गए कुल मतों का प्रदर्शन और परिणामों की घोषणा का ध्यान रखा जाता है. यह कुछ बटन दबाने पर सभी जानकारी प्रदान करती है. दूसरी बैलेट यूनिट होती है जो एक सरल मतदान उपकरण है. यह उम्मीदवारों की सूची प्रदर्शित करती है. इसमें नाम और प्रतीक चिह्न दर्ज करने की सुविधा होती है. मतदाता को प्रत्येक उम्मीदवार के नाम के पास स्थित वांछित स्विच दबाना होता है.

हैकिंग का अर्थ है- किसी अवैध उद्देश्य के लिए कंप्यूटर नेटवर्क सुरक्षा प्रणालियों को अपने नियंत्रण में लेना. ईवीएम के मामले में चुनाव आयोग साफ कर चुका है कि यह हैक हो ही नहीं सकती है. आयोग के मुताबिक, ईवीएम एक स्टैंड-अलोन मशीन है और यह तार या वायरलेस तरीके से किसी नेटवर्क से जुड़ी नहीं है. यानी एक बार प्रोग्राम लिखे जाने के बाद आप इसमें बदलाव नहीं कर सकते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो इस पर कोई दूसरा सॉफ्टवेयर राइट नहीं किया जा सकता है और न ही संशोधित किया जा सकता है.

यह आरोप लगाया जाता है कि ऐसा या तो मूल डिस्प्ले मॉड्यूल को वायरलेस डिवाइस से सुसज्जित किसी अन्य डिस्प्ले से बदलकर किया जा सकता है या एक अतिरिक्त सर्किट बोर्ड डालकर किया जा सकता है, जो वायरलेस डिवाइस के माध्यम से एक्सटर्नल यूनिट के साथ कम्युनिकेट कर सकता है और परिणाम घोषित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कंट्रोल यूनिट (सीयू) डिस्प्ले को नियंत्रित करके परिणाम को बदल सकता है.

चुनाव आयोग कहता है कि इस तरह के बदलाव के लिए प्रथम स्तर की जांच के बाद ईवीएम तक कई बार पहुंचना होगा, जो कड़ी सुरक्षा के बीच असंभव है. दूसरा एम3 ईवीएम में डिस्प्ले यूएडीएम में लगा होता है. यूएडीएम को खोलने या उसमें छेड़खानी करने का कोई भी प्रयास ईवीएम को फैक्ट्री मोड में भेज देगा. यह आरोप लगाया जाता है कि मेमोरी मैनिपुलेटर इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) को मेमोरी चिप में क्लिप करके वोटिंग डेटा को बदला जा सकता है, जहां वोट डेटा जहां वोट डेटा स्टोर होता है.

इसके लिए मतदान समाप्त होने के बाद कंट्रोल यूनिट तक पूरी तरह पहुंच की आवश्यकता होगी. ऐसा संभव नहीं नहीं है क्योंकि ईवीएम को प्रशासनिक सुरक्षा में रखा जाता है. इसके लिए दो सुरक्षा घेरे रहते हैं, इसके अलावा सीसीटीवी कवरेज और स्ट्रॉन्ग रूम के पास उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की कड़ी निगरानी के कारण स्ट्रॉन्ग रूम की सील और ताले तोड़ना संभव नहीं है. मेमोरी माइक्रो कंट्रोलर के अंदर होती है जो खुद यूएडीएम के अंदर होता है. यूएडीएम को खोलने का कोई भी प्रयास ईवीएम को फैक्ट्री मोड में भेज देगा. मुंबई ईवीएम विवाद पर के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी (मुंबई) ने ट्वीट किया, “…ईवीएम को अनलॉक करने के लिए मोबाइल पर कोई ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) की जरूरत नहीं होती है. क्योंकि यह नॉन-प्रोग्रामेबल है और इसमें कोई वायरलेस कम्युनिकेशन नहीं हो सकता है. ईवीएम सिस्टम के बाहर की यूनिट के साथ किसी भी वायर्ड या वायरलेस कनेक्टिविटी से कनेक्ट नहीं हो सकती है यानी यह एक स्टैंड-अलोन डिवाइस हैं. किसी भी तरह की हेराफेरी की संभावना को खत्म करने के लिए एडवांस्ड टेक्निकल फीचर होते हैं.”

प्रशासनिक और तकनीकी सुरक्षा उपायों के कारण ऐसा संभव नहीं हो सकता. चिप बदलने के लिए EVM वेयरहाउस तक पहुंच की आवश्यकता होगी. चिप बदलने के लिए स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंच और EVM पिंक पेपर सील को तोड़ने की आवश्यकता होगी. यह आरोप लगाया जाता है कि ट्रोजन चिप को फिर से प्रोग्रामिंग करके और सॉफ्टवेयर के फ्यूजिंग के दौरान चिप निर्माता द्वारा डाला जा सकता है. यह संभव नहीं हो सकता है. फिर से प्रोग्रामिंग नहीं हो सकती है क्योंकि ये वन टाइम प्रोग्रामेबल चिप्स हैं. चिप निर्माता द्वारा कोड से छेड़छाड़ से इनकार किया जाता है क्योंकि सॉफ्टवेयर को बीईएल/ ईसीआईएल द्वारा अपने कारखानों में उच्चतम सुरक्षा वातावरण में में पोर्ट किया जाता है.

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