पंकज की कुर्मी बिरादरी में अच्छी पैठ है। लेकिन इस चुनाव में उनका प्रभाव बहुत नहीं दिखा, कुर्मी बाहुल्य बस्ती की सीट भाजपा के हाथ से चली गई। अब सातवीं बार जीत के बाद पंकज चौधरी को कुर्मी बिरादरी के नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश की गई है। इसी प्रकार चुनाव में कई सीटों पर पासी समाज भी भाजपा के साथ नहीं गया। जबकि, यूपी की 10 से 12 सीटों पर पासी समाज की संख्या ज्यादा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में मंडल के दो सांसदों पंकज चौधरी और कमलेश पासवान को राज्यमंत्री का ओहदा देकर भाजपा ने बड़ा सियासी दांव चला है। लोकसभा चुनाव में भाजपा का कोर वोट बैंक कुर्मी और पासी (अनुसूचित जाति) बिरादरी कई संसदीय सीटों पर छिटक कर गठबंधन के साथ चला गया था।
इससे कई सीटों के नतीजे प्रभावित हुए। अब इन दोनों बिरादरी के नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल कर बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की गई है। लोकसभा चुनाव में इस बार वोटबैंक की राजनीति जमकर चली है। गठबंधन ने पिछड़ा व एससी वर्ग को साधने के लिए पूरा जोर लगा दिया और इसमें बहुत हद तक सफल भी रही।अब चुनावी परिणाम आने के बाद भाजपा ने जातिगत समीकरण को तवज्जो देते हुए मंत्रिमंडल में जगह दी है। मोदी सरकार में सबसे पहले राज्यसभा सदस्य रहे शिव प्रताप शुक्ल को केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री बनाकर ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की गई। उस वक्त यूपी में ब्राह्मण वर्ग में नाराजगी चल रही थी।
इसके बाद महराजगंज से छह बार सांसद रहे पंकज चौधरी को केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री बनाकर कुर्मी बिरादरी को साधने की कोशिश की गई। पंकज की कुर्मी बिरादरी में अच्छी पैठ है। लेकिन इस चुनाव में उनका प्रभाव बहुत नहीं दिखा, कुर्मी बाहुल्य बस्ती की सीट भाजपा के हाथ से चली गई।अब सातवीं बार जीत के बाद पंकज चौधरी को कुर्मी बिरादरी के नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश की गई है। इसी प्रकार चुनाव में कई सीटों पर पासी समाज भी भाजपा के साथ नहीं गया। जबकि, यूपी की 10 से 12 सीटों पर पासी समाज की संख्या ज्यादा है।
कमलेश पासवान को इसी रणनीति के तहत मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। बांसगांव में कमलेश हर बार पासी समाज को साधने में सफल रहे हैं यह बिरादरी उन्हें अपने नेता के तौर पर मानती है।डीडीयू के राजनीति विज्ञान विभाग सहायक आचार्य डॉ महेंद्र सिंह ने बताया कि मध्य व पूर्वी यूपी में पासी समाज बड़ी संख्या में हैं। गठबंधन ने पीडीए का दांव चलकर इस बिरादरी को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया। इसका असर नतीजों पर देखने को मिला। इसी प्रकार कुर्मी बिरादरी की संख्या यूपी की कई सीटों पर बहुतायत है।
यह पहले भाजपा का कोर वोट बैंक था। भाजपा इन दोनों कोर वोट बैंक को सहेज नहीं पाई। जिसका राजनीतिक खामियाजा उठाना पड़ा है। मेरा मानना है कि मंत्रिमंडल में पंकज चौधरी और कमलेश पासवान को जगह देने की पीछे मंशा भी यही दिखती है। अब ये दोनों नेता अपनी बिरादरी को कितना साध लेते हैं यह आने वाला समय बताएगा लेकिन भाजपा ने बहुत ही सोच-समझकर इन्हें मंत्री बनाया है।