Sunday, March 23, 2025

कांग्रेस की आलोचनाओं का BJP ने दिया जवाब, कहा- सुरेश को विपक्ष का नेता बनाए…..

प्रोटेम स्पीकर को अस्थायी स्पीकर भी कहते हैं। हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के सांसद भर्तृहरि महताब को इस पद पर नियुक्त किया है। इसी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।

भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर लगातार सियासी विवाद बना हुआ है। कांग्रेस और केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन लगातार इस नियुक्ति पर सवाल खड़े कर रहे हैं। बढ़ते विरोध को देखते हुए भाजपा ने शनिवार को पलटवार किया। भगवा पार्टी ने कांग्रेस को सलाह दी कि वह अपने सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाए।

दरअसल, कांग्रेस और केरल के सीएम का कहना था कि परंपरा के अनुसार, जिस सांसद ने अधिकतम कार्यकाल पूरा किया है, उसे प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाना चाहिए। 18वीं लोकसभा में सबसे वरिष्ठ सांसद कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश हैं। इसलिए उन्हें लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाना चाहिए था। साथ ही भाजपा पर परंपराओं को तोड़ने का आरोप लगाया था। 

अब बढ़ते सियासी बवाल पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस को सुरेश को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाकर केंद्र के फैसले का विरोध करना चाहिए। उन्होंने मवेलीकारा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस सांसद को प्रतिभाशाली दलित समुदाय का सदस्य और केरल का सदस्य बताया, जो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का पारिवारिक घर है और कल वाड्रा का होगा। सुरेंद्रन ने फेसबुक पर एक पोस्ट कहा कि कांग्रेस में सबसे वरिष्ठ सांसद सुरेश होशियार, सबसे बढ़कर दलित समुदाय के सदस्य और केरल के सदस्य हैं। किसी भी कीमत पर सुरेश को विपक्ष का नेता बनाया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी के सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाए जाने पर उसे अपना विरोध इसी तरह व्यक्त करना चाहिए। प्रिय मित्र कोडिकुन्निल सुरेश को अग्रिम शुभकामनाएं।

इससे पहले आठ बार सांसद रह चुके सुरेश ने शुक्रवार को कहा था कि सबसे वरिष्ठ लोकसभा सदस्य होने के नाते उन्हें परंपरा के अनुसार प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए था। वहीं, दक्षिणी राज्य में राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन और रमेश चेन्निथला सहित अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का भी यही कहना था। सुरेश ने केंद्र के फैसले की भी आलोचना करते हुए कहा था कि यह देश में संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा है और संकेत देता है कि भाजपा संसदीय प्रक्रियाओं को दरकिनार करना जारी रखेगी या अपने हितों के लिए उनका इस्तेमाल करेगी, जैसा कि उसने पिछले दो बार किया है।

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