Friday, June 13, 2025

आचमन क्या… नहाने के लायक भी नहीं है काशी में गंगा; BHU के शोध में मिले चौंकाने वाले प्रमाण..

काशी में गंगा आचमन क्या… नहाने के लायक भी नहीं है। अस्सी और रामनगर के पास मोक्षदायिनी का जल नहाने लायक भी नहीं है। गंगा फॉस्फेट, अमोनियम और भारी धातुओं की अशुद्धियों से दूषित हो चुकी है। कई जगह गंगा में सीवेज और ड्रेनेज का गंदा पानी समा रहा है।

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आज गंगा दशहरा है। यानी पतित पावनी के धरती पर अवतरण का पवित्र दिन। इस दिन श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर शरीर से लेकर रूह तक की शुद्धि की कामना करते हैं। मगर, आपको जानकर हैरानी होगी कि काशी में गंगा का जल आचमन और स्नान लायक भी नहीं रह गया है।

बीएचयू के शोध में शहर के घाटों के पानी में फॉस्फेट, अमोनियम और अन्य भारी धातुओं का प्रदूषण घुले होने के प्रमाण मिले हैं। ऐसे जल का सेवन सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है। दूसरी तरफ कई स्थानों पर सीवेज और ड्रेनेज गिरने से गंगा में फीकल मैटर (मल-जल) की मौजूदगी भी मिली है।

बीएचयू के पर्यावरण और धारणीय विकास संस्थान के एक शोध में गंगा में ड्रेनेज गिरने वाले स्थानों गढ़वा घाट, रामनगर और अस्सी आदि स्थानों पर फॉस्फेट की मात्रा 0.5 पीपीएम (1 पीपीएम यानी 1 मिग्रा. प्रति लीटर) और सीवेज गिरने के स्थान रामनगर के आसपास 2.7 पीपीएम मिली है। 

जबकि पानी में फॉस्फेट बिल्कुल नहीं होना चाहिए। यहां अमोनिया की मात्रा 17 मिली। गंगा के शहर में प्रवेश करने वाले रविदास घाट और शहर से बाहर निकलने वाले राजघाट के अलावा रामनगर में गंगा के किनारे भूजल में नाइट्रेट और सल्फेट की मात्रा पहले ही डब्ल्यूएचओ के मानक से दोगुनी (100 से 115 तक) पाई गई है, जिसका असर गंगा के जल पर भी पड़ता है। इससे गंगा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जा रही है.


गंगा में अस्सी घाट के समीप कैडमियम, पारा, आयरन, निकिल, कॉपर आदि भारी धातुओं के अवयव भी पाए गए हैं। बीएचयू वनस्पति विज्ञान विभाग के एक शोध में मुहाने से 1500 मीटर नीचे तक सैंपल लेकर जांच की गई तो पता चला कि गंगा के पानी में भारी धातुएं खतरनाक स्तर तक घुली हैं।


आईआईटी के प्रोफेसर और संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र कहते हैं कि काशी में गंगा के सभी 84 घाटों पर मल जल की मौजूदगी मिली है। इसका मुख्य कारण घरेलू सीवेज का गंगा में घुलना है। ऐसे में गंगा के किसी भी घाट का जल आचमन के लायक नहीं रह गया है। गंगा स्वच्छ करने के लिए सबसे जरूरी है कि गंगा में सीवेज जाने से रोका जाए।

चिकित्सकों के मुताबिक फॉस्फेट की अधिक मात्रा अंगों एवं कोमल ऊतकों के कैल्सीफिकेशन (सख्त होने) और दस्त का कारण बन सकता है। शरीर की आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक का उपयोग करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न करता है। फॉस्फेट हड्डियों से कैल्शियम निकालता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा रहता है।

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